mukesh (mk)
Thursday, 5 March 2015
आज इक नजारा फिर से नया सा हो गया,
जो भी था अपना हमसे कुछ खफा सा हो गया।
जिंदगी रूठी नही है अब तक मंजिल तो पाना ही है,
रात के बाद सवेरा नई मजिंल का पता सा हो गया
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